Monday, July 28, 2008


----ओस की बूंद सी---
ओस की बूंद होती है बेटी,
मासूम सी प्यारी नन्ही कली,
मन मैं ना हो कोई सवाल,
हर पल रखे सब का ख्याल
फिर भी क्यों नही सब को लगती अपनी,
ओस की बूंद सी .........
माँ ना दे लाड़ उस को,
बाप न रखे सिर पर हाथ,
दादी भी नही देती उस को लोरी,
नानी की कहानी सुनती चोरी चोरी,
ओस की बूंद सी होती है बेटी .........

Sunday, July 27, 2008

मची है हाहाकार


अचानक चीक पुकार, चारों तरफ मचा जब हाहाकार,
बम के धमकों के साथ बुझ गए कितने घरों के चिराग।
मासूम बच्चों के साथ-साथ बाप का सहारा था कोई,
क्या इसी तरह जारी रहेगी देश में आतंक की आग।
न जाने कल किस घर को लील लेगी यह हवा,
कल बंगलुरू तो आज जल उठा अहमदाबाद ।
साप निकल जाने के बाद लकीर पीटने की आदत है पुरानी,
हमेशा से अलापा जा रहा है वहीं सदियों पुराना अलाप।
रोजाना सुबह अखबारों के पहले पन्ने भी भरते है इससे,
कब तक घरों को चिरागों को लीलती रहेगी आतंक की आग।
सुख जाते है मां-बाप के आंखों के आंसू भी रो-रो कर,
पर नहीं थम रही देश में बहती यह नफरत की बुछार।

Monday, July 14, 2008

........जीवन की लहरेँ........
जीवन है एक दरिया, धारा के संग बहते रहते
पल पल रास्ता बदलती लहरोँ में खुद ही हो जाते गुम...
आंखों में नमी होठों पर हँसी को सजाने वाले
मस्ती से चलते जाते दूर भागते उन के गम...
मंजिल की और चलते रहना मुसाफिर का काम
हर मोड़ को देख कर उदास क्यों हो जाते तुम...
छोड़ दिया जिन रास्तो को लहरों ने सदियो पहले
फिर क्यों उन रास्तो पर नजरेँ है हो जाती गुम...
देख किनारे पर बैठे लोगो को हर रोज़
कही फिर यादो में खो न जाना तुम....
पड़े है रस्ते में तेरे पत्थर बहुत
मन कमजोर ना कहीँ कर लेना तुम....
जीवन है एक दरिया.........

Saturday, July 5, 2008

TWO FRIENDS

A story tells that two friends were walking through the desert. During some point of the journey they had an argument, and one friend slapped the other one in the face. The one who got slapped was hurt, but without saying anything, wrote in the sand: "TODAY MY BEST FRIEND SLAPPED ME IN THE FACE."
They kept on walking until they found an oasis, where they decided to take a bath. The one, who had been slapped, got stuck in the mire and started drowning, but the friend saved him. After the friend recovered from the near drowning, he wrote on a stone: "TODAY MY BEST FRIEND SAVED MY LIFE."
The friend who had slapped and saved his best friend asked him, "After I hurt you, you wrote in the sand and now, you write on a stone, why?"
The other friend replied: "When someone hurts us, we should write it down in sand where winds of forgiveness can erase it away. But, when someone does something good for us, we must engrave it in stone where no wind can ever erase it."
LEARN TO WRITE YOUR HURTS IN THE SAND, AND TO CARVE YOUR BENEFITS IN STONE

rone se aur ishq mein

rone se aur ishq meiN be_baak ho gaye
dhoye gaye ham 'eise ki bas paak ho gaye
be_baak = bold,

kehta hai kaun naala-e-bulbul ko be_asar
parde meiN gul ke laakh jigar chaak ho gaye

pooche hai kya wujood-o-adam 'ehl-e-shauq ka
aap apnee aag se KHas-o-KHaashaak ho gaye
KHas-o-Khaashaak = destroyed ]


karne gaye the; usse taGHaaful ka ham gila
kee ek hee nigaah ki bas KHaak ho gaye
taGHaaful = negligence