Saturday, October 4, 2008

नई सुबह


आज नई सुबह के साथ,
बदल रहा है सबकुछ ऐसे.
सुनहरी सूरज की किरणों से,
चमक रहा है जीवन फिर से,
चहके पंछी, महके बगियां.
फूलों पर भी आई रंगत,
मौसम भी लगे कुछ बदला,
बदरा भी छाने लगे घिर के..,
दूर गगन पर काले मेघा.
जैसे झूम झूम कर गाए,
मयूर की चाल भी बदली,
कोयल भी चहकी फिर से..

3 comments:

अबरार अहमद said...

रजनी जी बहुत बढिया। पर लुधियाना के मौसम में तो आजकल बहुत गर्मी है।

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया रचना!!

daanish said...

"सुनहरी सूरज की किरणों से
चमक रहा है जीवन फिर से...."

बहुत ही खूबसूरत आशावादी भाव लिए हुए
एक सुंदर रचना ......
कला पक्ष भी भला-भला सा ....
बधाई . . . . . .
---मुफलिस---