आज नई सुबह के साथ,
बदल रहा है सबकुछ ऐसे.
सुनहरी सूरज की किरणों से,
चमक रहा है जीवन फिर से,
चहके पंछी, महके बगियां.
फूलों पर भी आई रंगत,
मौसम भी लगे कुछ बदला,
बदरा भी छाने लगे घिर के..,
दूर गगन पर काले मेघा.
जैसे झूम झूम कर गाए,
मयूर की चाल भी बदली,
कोयल भी चहकी फिर से..
बदल रहा है सबकुछ ऐसे.
सुनहरी सूरज की किरणों से,
चमक रहा है जीवन फिर से,
चहके पंछी, महके बगियां.
फूलों पर भी आई रंगत,
मौसम भी लगे कुछ बदला,
बदरा भी छाने लगे घिर के..,
दूर गगन पर काले मेघा.
जैसे झूम झूम कर गाए,
मयूर की चाल भी बदली,
कोयल भी चहकी फिर से..
3 comments:
रजनी जी बहुत बढिया। पर लुधियाना के मौसम में तो आजकल बहुत गर्मी है।
बहुत बढ़िया रचना!!
"सुनहरी सूरज की किरणों से
चमक रहा है जीवन फिर से...."
बहुत ही खूबसूरत आशावादी भाव लिए हुए
एक सुंदर रचना ......
कला पक्ष भी भला-भला सा ....
बधाई . . . . . .
---मुफलिस---
Post a Comment