गुलाब के फूलों से पूछा मैने,
रूप है तेरा कितना सुंदर,
सबको लगता कितना प्यारा,
बच्चे, बुढे सब को तू भाता,
भगवान से भी तेरा नाता,
फिर तू जल्दी क्यों मुरझा जाता,
तेरी लाली चंद दिन को रहती,
बोला फूल तुम क्या जानों,
मैं तो सबको देता मुस्कान,
पर मेरा दर्द न जाने कोई,
मैं खिलता तो महकती बगिया,
सुंदरता मेरी बन जाती अभिशाप,
खिला देख सब आते पास,
पास रखने को तोड़ ले जाता साथ,
टूट कर मैं अपनी डाली से,
कैसे रह पाऊ हमेशा ताजा,
जब खत्म हो जाती मेरी सुंदरता,
महक भी हो जाती खत्म,
लोग फैंक देते है मुझको,
इस लिए मैं हो जाता उदास,
रूप है तेरा कितना सुंदर,
सबको लगता कितना प्यारा,
बच्चे, बुढे सब को तू भाता,
भगवान से भी तेरा नाता,
फिर तू जल्दी क्यों मुरझा जाता,
तेरी लाली चंद दिन को रहती,
बोला फूल तुम क्या जानों,
मैं तो सबको देता मुस्कान,
पर मेरा दर्द न जाने कोई,
मैं खिलता तो महकती बगिया,
सुंदरता मेरी बन जाती अभिशाप,
खिला देख सब आते पास,
पास रखने को तोड़ ले जाता साथ,
टूट कर मैं अपनी डाली से,
कैसे रह पाऊ हमेशा ताजा,
जब खत्म हो जाती मेरी सुंदरता,
महक भी हो जाती खत्म,
लोग फैंक देते है मुझको,
इस लिए मैं हो जाता उदास,
2 comments:
मैं खिलता तो महकती बगिया,
सुंदरता मेरी बन जाती अभिशाप,
खिला देख सब आते पास,
पास रखने को तोड़ ले जाता साथ,
बहुत सुन्दर शब्दो में कहा है गुलाब को.
महक भी हो जाती खत्म,
लोग फैंक देते है मुझको,
इस लिए मैं हो जाता उदास,
"ya very painful, but whole of the poetry is very touching"
Regards
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