- आसमान से टूटा फिर एक तारा,
मांगी दुआ तो किसी ने दित्कारा,
क्या जाने कोई उस तारे का दर्द,
कभी रोए खुद पर तो कभी उनपर,
जो चमकता देख तो होते है खुश,
टूट जाने पर भी मांगते है दुआ,
अंजान है उसके बिछड़ने के गम से,
बिछड़ कर चला गया कितनी दूर,
जो अब वापिस न लौटेगा कभी,
फिर चमकने को आसमान में,
Tuesday, August 26, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
वाह!!
बहुत खूब!!
Post a Comment