Thursday, August 28, 2008

चीर हरण





नजर में आई वो सुर्खियां,
लूटी फिर नारी का अस्मत,
फिर सवालों के घेरे में आई,
क्या हुआ, कैसे हुआ चीर हरण,
महाभारत में तो कौरवों की चाल,
तब हारें पांडव,
फिर हुआ था चीरहरण,
आज तो रोजाना दोहराया जाता,
इतिहास भरी सभा का ऐसे,
काले कोट में तो, कभी खाकी वर्दी में,
शब्दों से बार-बार, बेइज्जत होती नारी,
चुप्पी को बना लेती है हथियार,
मुंह खोले तो इज्जत होती तार-तार
लुट कर भी वह बनती गुनाहगार,
माथे पर लगता बदचलन का दाग,

1 comment:

Udan Tashtari said...

बढिया.लिखते रहें.